सिन्धु सभ्यता/हड़प्पा सभ्यता
सर्वप्रथम चार्ल्स मौसान ने 1826 ई. में हड़प्पा टीले के बारे में जानकारी दी थी ।
सर जॉन मार्शल ने सर्वप्रथम इसे सिन्धु सभ्यता का नाम
दिया।
सन् 1921 ई. में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक सर जॉन मार्शल के निर्देशन में राय बहादुर दयाराम साहनी ने पंजाब (वर्तमान पाकिस्तान) के माण्टगोमरी जिले में रावी नदी के तट पर स्थित हड़प्पा का अन्वेषण किया।
इस सभ्यता का सबसे पूर्वी पुरास्थल आलमगीरपुर (उ.प्र.), पश्चिमी पुरास्थल सुत्कागेण्डोर (ब्लूचिस्तान), उत्तरी पुरास्थल माँडा (लद्दाख) तथा दक्षिणी पुरास्थल दैमाबाद (महाराष्ट्र) हैं।
स्टुअर्ट पिग्गट ने हड़प्पा और मोहनजोदड़ो को सिन्धु सभ्यता की जुड़वाँ राजधानियाँ बताया है।
हड़प्पा के सामान्य आवास क्षेत्र के दक्षिण में एक कब्रिस्तान स्थित है जिसे समाधि आर-37 नाम दिया गया है।
हड़प्पा से प्राप्त बर्तन पर स्त्री के गर्भ से निकला हुआ पौधा, पीतल की बनी इक्का गाड़ी तथा गेंहूँ और जौ के दाने के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त के लरकाना जिले में सिन्धु नदी के दाहिने तट पर स्थित मोहनजोदड़ो का उत्खनन 1922 ई. में राखालदास बनर्जी ने करवाया।
सिन्धु सभ्यता के प्रमुख पुरास्थल