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 प्राचीनभारत ⏣⏣



प्रागैतिहासिक काल

(प्राक् + इतिहास) अर्थात् इस काल का इतिहास पूर्णतः पुरातात्विक साधनों पर निर्भर है। इस काल का कोई लिखित साधन उपलब्ध नहीं है, क्योंकि मानव का जीवन अपेक्षाकृत असभ्य एवं बर्बर था ।

भारत में पुरापाषाण काल से सम्बन्धित पुरातात्विक खोज को करने का श्रेय राबर्ट ब्रूस फूट को दिया जाता है।

भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के रॉबर्ट ब्रूस फूट ने वर्तमान तमिलनाडु राज्य के चिंगलपुट जिले के पल्लावरम् (चेन्नई के समीप) नामक पुरास्थल से 30 मई, 1863 ई. में लैटेराइट मिट्टी के जमाव से हस्त कुठार खोज निकाला था।

राबर्ट ब्रूस फूट को भारत में प्रागैतिहासिक पुरातत्व का जनक कहा जाता है।

भारतीय पुरातत्व विभाग के जन्मदाता अलेक्जेंडर कनिंघम को माना जाता है। भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना का श्रेय वायसराय लॉर्ड कर्जन को प्राप्त है।

मानव सभ्यता के इस प्रारम्भिक काल को सुविधानुसार तीन भागों में बाँटा गया है—

(A) पुरापाषाण काल (Paleolithic Age),

(B) मध्यपाषाण काल (Mesolithic Age), 

(C) नवपाषाण काल (Neolithic Age) |


(A) पुरापाषाण काल

उपकरणों पर आधारित पुरापाषाण कालीन संस्कृति के अवशेष सोन नदी घाटी, बेलन नदी घाटी तथा नर्मदा नदी घाटी एवं भोपाल के पास भीमबेटका नामक स्थान से चित्रित शैलाश्रयों तथा अनेक चित्रित गुफाओं से प्राप्त हुए है।

इस काल में हैण्ड-ऐक्स, क्लीवर और स्क्रैपर आदि विशिष्ट यन्त्र प्राप्त हुए हैं।

(B) मध्यपाषाण काल


इस काल में प्रयुक्त होने वाले उपकरण बहुत छोटे होते थे इसलिए इन्हें 'माइक्रोलिथ' कहते हैं।

इस काल में मध्य प्रदेश में आजमगढ़ और राजस्थान में बागोर से पशुपालन के प्राचीनतम साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।

इस काल में मानव की अस्थियों का पहला प्रारूप प्रतापगढ़ (उ. प्र.) के सराय नाहर तथा महदहा नामक स्थान से प्राप्त हुआ है। हड्डियों से निर्मित आभूषण मध्यपाषाणकाल में महदहा से प्राप्त हुए हैं ।


(C) नवपाषाण काल

नवपाषाण युगीन प्राचीनतम बस्ती पाकिस्तान में स्थित ब्लूचिस्तान प्रान्त मेहरगढ़ में है।

 मेहरगढ़ में कृषि के प्राचीनतम साक्ष्य मिले हैं।

मानव द्वारा सर्वप्रथम प्रयुक्त अनाज जौ था।

नवपाषाण काल में बुर्जहोम एवं गुफकराल (जो कश्मीर प्रान्त में स्थित हैं) से अनेक गर्तावास (Pit Dwelling, गड्ढाघर), अनेक प्रकार के मृद्भाण्ड एवं प्रस्तर तथा हड्डी के अनेक औजार प्राप्त हुए हैं।

बुर्जहोम से प्राप्त कब्रों में पालतू कुत्तों को मालिक के साथ दफनाया जाता था।

चिराँद (बिहार) नामक नवपाषाण कालीन पुरास्थल एकमात्र ऐसा पुरास्थल है, जहाँ से प्रचुर मात्रा में हड्डी के उपकरण पाये गये हैं। जो मुख्य रूप से हिरण के सींगों के हैं।

उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद के निकट कोल्डिहवा एकमात्र ऐसा नवपाषाणिक पुरास्थल है जहाँ से चावल का प्राचीनतम साक्ष्य प्राप्त हुआ है। नवपाषाणिक पुरास्थल मेहरगढ़ से कृषि के प्राचीनतम साक्ष्य एवं नवपाषाणिक प्राचीनतम बस्ती एवं कच्चे घरों के साक्ष्य मिले हैं।

विंध्य क्षेत्र का लेखहिया के शिलाश्रय से सर्वाधिक मानव कंकाल मिले हैं। राष्ट्रीय मानव संग्रहालय भोपाल में स्थित है।

एक ही कब्र से तीन मानव कंकाल दमदमा से प्राप्त हुए हैं।

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